खौफनाक परछाई (Short Horror Story in Hindi)

छोटी डरावनी कहानी (Short Horror Story in Hindi): खौफनाक परछाई

रात का समय था। चांदनी रात में गाँव के एक कोने में स्थित वह पुरानी हवेली, जो कई सालों से वीरान पड़ी थी, अजीब-सी खामोशी में लिपटी हुई थी। उस हवेली के बारे में गाँव में कई कहानियाँ मशहूर थीं। लोग कहते थे कि वहाँ रात में एक अजीब परछाई घूमती है, जिसे जिसने भी देखा, वह कभी लौटकर नहीं आया।

रवि, जो एक युवा और साहसी लड़का था, इन बातों को सिर्फ अफवाह मानता था। उसने अपने दोस्तों के साथ शर्त लगाई कि वह रात में उस हवेली में जाकर सच्चाई का पता लगाएगा। दोस्तों ने उसे चुनौती दी, और रवि ने बिना कुछ सोचे-समझे हामी भर दी।

रात का आगमन

रात के 11 बज चुके थे। रवि ने एक टॉर्च और अपना मोबाइल लिया और चल पड़ा उस डरावनी हवेली की ओर। हवेली तक पहुँचने का रास्ता घने पेड़ों और अंधेरे से भरा था। हर तरफ झींगुरों की आवाज़ और अजीब सी सर्द हवा माहौल को और भी डरावना बना रही थी।

हवेली का मुख्य दरवाजा टूटा हुआ था। रवि ने जैसे ही दरवाजे को पार किया, उसे एक ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। अंदर घुसते ही उसकी नजर एक पुराने झूले पर पड़ी, जो बिना किसी हवा होने के बावजूद अपने आप हिल रहा था। रवि ने इसे नज़रअंदाज कर दिया और आगे बढ़ गया।

हवेली के अंदर का रहस्य

हवेली के अंदर हर जगह जाले और धूल जमे थे। दीवारों पर अजीब-अजीब तस्वीरें लटकी हुई थीं, जिनमें से कुछ की आँखें ऐसी लग रही थी जैसे वे रवि को घूर रही हों। अचानक, उसे लगा कि कोई उसके पीछे कोई खड़ा है। वह तुरंत पलटा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

तभी, उसे सीढ़ियों की ओर से एक धीमी-सी हंसी सुनाई दी। वह डर तो गया, लेकिन फिर भी अपनी हिम्मत जुटाकर आवाज़ की दिशा में बढ़ने लगा। सीढ़ियों पर चलते समय उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कंधे पर हल्का सा हाथ रखा हो। उसने तुरंत मुड़कर देखा, लेकिन पीछे सिर्फ अंधेरा था।

भूतिया कमरा

सीढ़ियों के ऊपर एक कमरा था, जिसका दरवाजा आधा खुला हुआ था। रवि ने दरवाजे को धकेला और अंदर कदम रखा। कमरे में सिर्फ एक पुराना शीशा और एक कुर्सी थी। शीशे पर अजीब-सी दरारें थीं, और उसकी सतह धुंधली थी। जैसे ही रवि ने शीशे में देखा, उसे अपने पीछे एक साया दिखाई दिया।

उसने घबराकर पलटकर देखा, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। उसकी साँसें तेज हो गईं, और उसने कमरे से बाहर निकलने की कोशिश की। तभी दरवाजा अपने आप बंद हो गया। रवि ने उसे खोलने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह हिल भी नहीं रहा था।

परछाई का सामना

अचानक कमरे में ठंडी हवा भर गई, और शीशे के अंदर से वही परछाई निकलकर उसके सामने खड़ी हो गई। वह एक काली आकृति थी, जिसकी आँखें लाल थी और जल रही थीं। उसने गहरी और डरावनी आवाज़ में कहा, “तुमने मेरी नींद में खलल डाला है, अब तुम यहाँ से नहीं जा सकते।”

रवि का पूरा शरीर डर के मारे कांप रहा था। उसने डरते-डरते पूछा, “तुम कौन हो?”

परछाई ने जवाब दिया, “मैं इस हवेली का रखवाला हूँ। जो भी यहाँ आता है, उसे मैं अपने साथ ले जाता हूँ।”

रवि ने अपनी जान बचाने के लिए परछाई से माफी माँगी, लेकिन परछाई ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया। तभी, रवि को अपने बैग में रखी अपनी माँ की दी हुई भगवान की मूर्ति याद आई। उसने जल्दी से बैग से मूर्ति निकाली और परछाई की ओर बढ़ाई।

खौफ का अंत

जैसे ही मूर्ति परछाई के पास पहुँची, वह जोर से चिल्लाने लगी और धीरे-धीरे गायब हो गई। कमरे का दरवाजा अपने आप खुल गया। रवि ने बिना समय गंवाए वहाँ से भागकर अपनी जान बचाई।

अगली सुबह उसने अपने दोस्तों को सारी बात बताई, लेकिन किसी ने उसकी बातों पर यकीन नहीं किया। रवि ने फैसला किया कि वह अब कभी ऐसी मूर्खता नहीं करेगा।

इस घटना के बाद हवेली को और भी डरावनी जगह माना जाने लगा। रवि की कहानी ने गाँव में खलबली मचा दी, लेकिन हवेली का रहस्य आज भी अनसुलझा है।

Leave a Comment